2 Lafzon ki Kahani
Friday, March 17, 2017
Success
अभी काँच हूँ इसलिए सबको चुभता हूँ,
♦जिस_दिन☝🕵
आइना बन
_जाऊँगा ,
उस दिन पूरी दुनियाँ देखेगी ...!!
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Success
अभी काँच हूँ इसलिए सबको चुभता हूँ, ♦जिस_दिन☝🕵 आइना बन _जाऊँगा , उस दिन पूरी दुनियाँ देखेगी ...!!
Bewefa zindgi
"बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है; यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है; तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती...
Kismat
"जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था; हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था! न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी; हमने तो किसी का दिल दुख...
Dhokha
साँसों का टूट जाना तो दस्तूर है कुदरत का.. जिस मोड़ पर अपने बदल जाये उसे मौत कहते हैं !!