2 Lafzon ki Kahani
Friday, March 17, 2017
Monday, February 27, 2017
Friday, February 10, 2017
Thursday, February 9, 2017
Bewefa zindgi
"बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है;
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ;
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
Subscribe to:
Posts (Atom)
Success
अभी काँच हूँ इसलिए सबको चुभता हूँ, ♦जिस_दिन☝🕵 आइना बन _जाऊँगा , उस दिन पूरी दुनियाँ देखेगी ...!!
-
"बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है; यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है; तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती...
-
"जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था; हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था! न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी; हमने तो किसी का दिल दुख...